फुटबॉल विश्व का एक ऐसा रोमांचक और करिश्माई खेल है जहाँ निर्धारित समय के अंतिम क्षण तक में खेल का पासा पलटने की सम्पूर्ण सम्भावनाएँ बनी रहती है। गोल बनाने की जीत में यदि हर्ष का शिखर है तो हारने पर विषाद का चरम भी लक्षित है। अच्छे कुशल खिलाड़ियों के कारण यदि टीम जीतती है तो दक्ष और निपुण टीम के कारण ही चैम्पियन बनना सम्भव हो पाता है। रूस में खेले जा रहे मैच की श्रृंखला में ब्राजील में हुए विश्वकप में जर्मनी की विजेता टीम को कोरिया की फुटबॉल टीम के खिलाड़ी द्वारा एक गोल दाग दिए जाने से जर्मनी को ऐसी मुँह की खानी पड़ी कि उसे इस विश्वकप श्रृंखला से ही बाहर हो जाना पड़ा। यद्यपि कोरिया की टीम पहले ही अपना दाँव हार चुकी थी और उसे घर लौटना था फिर भी जाते-जाते उसने जर्मनी के जीत के सपनों को चकनाचूर कर दिया।
रूस में खेले जा रहे हैं विश्वकप फुटबॉल मैच की श्रृंखला में सारे भेद तिरोहित हो गए हैं वही देश श्रेष्ठ है जो फुटबॉल खेल में अव्वल है। देश की पहचान का आधार फुटबॉल है। 4 वर्षों के अंतराल में होने वाले इस खेल की तैयारी में 4 वर्ष लग जाते हैं। हर देश, देश का हर क्लब, क्लब का हर खिलाड़ी, मैनेजर, डायरेक्टर तक क्वालीफाइंग मैच की तैयारी में लग जाते हैं। विश्व के अधिकांश देशों को अपने खिलाड़ी बेचने वाला नीदरलैंड देश जो पिछले ब्राजील में सम्पन्न हुए विश्वकप में तीसरे स्थान को हासिल किया था, आज विश्वकप के फुटबॉल मैच की श्रृंखला में खेलने से बाहर है रोब्रायन, पेशी इस्निडार, हंटलार, डेलीब्लिंड सहित अनेक खिलाड़ी अपने जीते जी इतिहास और रूस में चल रहे विश्व फुटबॉल से नए इतिहास की किताब लिखी जायेंगे। नए खिलाड़ी अपनी ताकत और पाँव के कौतुक से फुटबॉल की दुनिया का नया अध्याय रचने में लगे हुए हैं।
हर बार की तरह विश्वकप फुटबॉल के तूफानी दौर में पूरी पृथ्वी फुटबॉल स्टेडियम में बदल चुकी है। सूर्योदय से सूर्यास्त से परे जाकर दुनियां फुटबॉल मैचों के अनुसार अपनी सुबह और रात में जी रही है। मीडिया के कारण सम्पूर्ण विश्व इन मैचों का साक्षी बना हुआ है। गोल का शोर सिर्फ रूस के स्टेडियम में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी में गूँज रहा है।
जीत, जीत का हर्ष और हर्ष का उत्कर्ष फुटबॉल खिलाड़ियों को देखकर ही अनुभव किया जा सकता है फुटबॉल सिर्फ खेल नहीं बल्कि खेल की संस्कृति का जीवन्त रूप है फुटबॉल जीत, प्रगति और आत्मविश्वास की संस्कृति का उन्मादक खेल है। जहाँ निर्धारित समय के अंतिम क्षण तक जीत की ख्वाहिश बनी रहती है। गोल बनते ही दर्शकों की खुशी पटाखों की तरह फूट पड़ती है वह फिर स्टेडियम हो या टेलीविजन, कार का रेडियोे 2 जुलाई को रूस के स्टेडियम में बेल्जियम और जापान नहीं खेल रहे थे बल्कि उनके बहाने से यूरोप और एशिया फुटबॉल खेल रहा था और अंतिम मिनट पर बेल्जियम के मैदान में हर्ष और विषाद का करन्ट फैल गया था।
फुटबॉल खेल में खिलाड़ी समय की तरह ही, समय से ही खेलता रहता है। जूझता रहता है, हांफता है, गिरता है, उठता है, दौड़ता है, किक करता है, मिस करता है बावजूद इसके अंपायर की सीटी बजने से पहले तक दौड़ता रहता है। फुटबॉल गति की कला को नियन्त्रित करने का विलक्षण और मोहक खेल है कुछ भी पहले से कह पाना मुश्किल है। कोई नहीं सोच सकता था कि मिलियन डॉलर की सैलरी पाने वाले मेसी को अपनी जन्मभूमि अर्जेंटीना जाना पड़ेगा और इस तरह से विश्वकप के भावी इतिहास में कभी शामिल नहीं हो सके उरुग्वे से खेलते हुए पुर्तगाल की फुटबॉल टीम के बादशाह रोनाल्डो को अपने घर का रास्ता देखना पड़ा। कुछ ऐसे कि अगले विश्व फुटबॉल मैच में वे मैदान में नहीं दिखाई देंगे। 30 जून 2018 में रूस का फुटबॉल स्टेडियम इन खिलाड़ियों के जीवन के इतिहास का काला दिवस सिद्ध हुआ।
रूस की धरती इस समय विश्व के फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए अखाड़ा बनी हुई है। जहाँ विश्व के जाने-माने खिलाड़ी भी फुटबॉल से अधिक खिलाड़ियों से पहलवानी करते हुए नज़र आये हैं जब तक दूसरे खिलाड़ियों से देह टकराकर अकबकाकर पसर जाते रहे हैं जिससे पेनालिटी मिलने का अवसर मिल जाये और थोड़ा समय भी कट जाये और आराम भी मिल जाए तनीमनी सुस्ती भी ले। इस बीच कनखियों से अंपायर के नज़र पढ़ने की प्रतीक्षा भी कर लेते हैं। दूसरे पक्ष के गोल बनाने वाले खिलाड़ियों के पाँव पर पाँव रख देते हैं, घुटनों के पीछे से घातक चोटे पहुँचाते हैं सिर से सिर टकराना, कंधे दबोचना, पीठ पर चोट पहुँचाना आम बात है। फुटबॉल खेल से अधिक अब एक तरह की जंग में बदल गया हो क्योंकि यह अरबों-खरबों के डॉलर और यूरो की पूँजी में बदल गया है मिलियंस का वेतन होता है और मिलियंस में खिलाड़ियों की खरीद-फरोख्त होती है। इसी तरह से अपने-अपने क्लबों की उन्नति और प्रसिद्दी तथा पूँजी के लिए कोच की खरीद-फरोख्त भी जारी रहती है क्योंकि फुटबॉल खेल और क्लब की पहचान में खिलाड़ियों से अधिक कोच का महत्त्व रहता है और उसी से टीम की विश्वव्यापी पहचान बनती है। कोच के नाम से टीम जानी जाती है पर दूसरा महत्त्वपूर्ण शख्स की पर होता है। जो विपक्ष के लिए गोल बनवाता है और अपने घर में विरोधी टीम के फुटबॉल किक से होने वाले गोल को रोकता है, क्योंकि फुटबॉल खेल में गोल बचाना भी अपनी तरह से गोल बनाना है।
मैच के दौरान फुटबॉल के मैदान में अंपायर सिर्फ खेल का निर्णय का ही नहीं बल्कि खेल का ईश्वर होता है। एक बार जो निर्णय ले लेता है और ऐलान कर देता है उसके बाद वह अपनी गलती को भी संशोधित नहीं कर पता है, जबकि हजारों कैमरों की आँखों में कैद सेकण्ड की सच्चाईयों के रूबरू होने पर विश्व के फुटबॉल विशेषज्ञ उस पर अपनी राय और मत जारी करते हैं। उसका कोई मतलब नहीं होता है। मैच जिस रूप में जिस तरह से जिसके पक्ष में समाप्त होता है वही निर्णय अन्तिम होता होता है। अंपायर फुटबॉल खेल के भीतर दौड़ते भागते हुए ऑफसाइड, पेनाल्टी, कोर्नर, पीला और लाल कार्ड जारी करते हुए फुटबॉल टीमों का वारा-न्यारा करते रहते हैं। ऐसा ही 1 जुलाई दास प्रथा से मुक्ति के ऐतिहासिक दिवस पर रूस के विश्वकप के लिए ब्राज़ील और मेक्सिको की टीम के खेल अवसर पर अंपायर द्वारा मेक्सिको को पेनाल्टी खेलने का अवसर नहीं दिया गया। सम्भवत: ब्राजील टीम के समानांतर वह भी एक गोल बना लेते तो दोनों टीमों को 15 मिनट के आफसूट का मौका मिलता और जीत की तस्वीर कुछ दूसरी होती लेकिन उसके कुछ मिनट बाद अन्त में ब्राज़ील ने एक गोल दाग दिया और मैच ब्राजील के पक्ष में चला गया। यह दुर्भाग्यजनक घटना कितनी ही टीमों के साथ घटित हुई है और अब शुक्रवार को 6 जुलाई को क्वार्टर फाइनल में ब्राजील का मुकाबला 2 जुलाई को अन्तिम मिनट में जीत हासिल किए हुए बेल्जियम से होगा, जिसके लिए पूरा यूरोप हर्षित गौरवान्वित और उन्मादित है। अर्जेंटीना से फ्रांस का जीतना भी एक ऐतिहासिक जीत है कि क्योंकि इससे सिर्फ अर्जेंटीना देश की ही हार नहीं है बल्कि फुटबॉल का विश्व विजयी खिलाड़ी मेसी की सिर्फ देश वापसी ही नहीं बल्कि फुटबॉल की दुनिया में वापसी के संकेत नही हैं। उसी तरह से आखिरी मिनट में पूर्व हुई से पुर्तगाल का हारना वस्तुत: स्वार्थ से रोनाल्डो का मांस खाना है जो रोनाल्डो के लिए पीड़ादाई ही नहीं अपमानजनक है इन सबके बावजूद खेल और फुटबॉल खेल की दुनिया में हार के बाद दूसरे दिन की सुबह जीत के हौसले से भरपूर होती है। यही फुटबॉल खेल की सच्चाई है कि खिलाड़ी खेल में हार के बाद भी हार नहीं मानता और जीती हुई टीम को अपना दुश्मन नहीं समझता है।
3 जुलाई के मैच में स्वीडन ने स्विट्ज़रलैंड को शिकस्त दी तो इंग्लैंड ने कोलंबिया को इस तरह से शुक्रवार 6 जुलाई को स्वीडन और इंग्लैंड के बीच मैच होगा, जिसमें जीतने वाली टीम हाफ फाइनल की दिशा में आगे अग्रसर होगी।